शब्द का अर्थ
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					धव 					 :
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					पुं० [सं०√धु (कंपन)+अच्] १. एक प्रकार का जंगली पेड़ जिसकी पत्तियाँ अमरूद या शरीफे की पत्तियों की-सी होती हैं। इन पत्तियों में चमड़ा सिझाया जाता है। इसकी पत्ती, फल और जड़ तीनों दवा के काम में आते हैं। धौ। २. स्त्री का पति या स्वामी। जैसे—माधव। ३. पुरुष मर्द। चालाक। धूर्त। ५. एक वसु का नाम।				 | 
			
			
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					धवई 					 :
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					स्त्री० [सं० धातकी, धवनी] एक प्रकार का पेड़ जो उत्तरीय भारत में अधिकता से होता है। इसे धाय भी कहते हैं। इससे एक प्रकार का गोंद भी निकलता है। 				 | 
			
			
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					धवनी 					 :
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					स्त्री० [सं०] शालिपर्णी। सरिवन। स्त्री० [सं० धवल] १. धौंकनी। भाथी। २. दे० ‘धमनी’।a				 | 
			
			
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					धवर 					 :
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					पुं० [सं० धवला] पंडुक की तरह का एक प्रकार का पक्षी जिसका गला लाल और सारा शरीर सफेद होता है। वि०=धवल (सफेद)।a				 | 
			
			
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					धवरहर 					 :
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					पुं०=धौरहर।a				 | 
			
			
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					धवरा 					 :
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					वि० [सं० धवल] [स्त्री० धवरी] उजला। सफेद।a				 | 
			
			
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					धवराहर 					 :
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					पुं०=धौरहर।a				 | 
			
			
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					धवरी 					 :
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					स्त्री० [हिं० धवर] १. धवर पक्षी की मादा। २. सफेद रंग की गौ। वि० हिं० ‘धवर’ का स्त्री०।				 | 
			
			
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					धवल 					 :
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					वि० [सं०√धाव् (गति, शुद्धि)+कल, ह्रस्व] १. उजला सफेद। २. निर्मल। कुफ। स्वच्छ। ३. मनोहर। सुन्दर। पुं० १. सफेद कोड़। २. श्वेत कुष्ठ। २. धौ का पेड़। ३. चिनिया कपूर। ४. सिंदूर। ५. सफेद गोल मिर्च। ६. अर्जुन वृक्ष। ७. सफेद परेवा या धौरा नामक पक्षी। ८. बहुत बड़ा बैल। ९.छप्पय छन्द का ४२वाँ भेद। १॰.. एक राग जो भरत के मत से हिंडोल राग का ८वाँ पुत्र है। १ १. राजस्थान में गाये जाने वाले एक प्रकार के मंगल गीत।				 | 
			
			
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					धवल-गिरि 					 :
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					पुं० [कर्म० स०] हिमालय की एक प्रसिद्ध चोटी, जो सदा बरफ से ढकी रहती है।				 | 
			
			
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					धवल-ग्रह 					 :
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					पुं० [कर्म० स०] १. प्राचीन भारत में राजप्रासाद का वह ऊपरी और ऊँचा उठा हुआ खंड, जिसमें राजा और रानियाँ रहती थीं और जो प्रायः सफेद रंग का होता था। २. प्रासाद। महल।				 | 
			
			
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					धवल-पक्ष 					 :
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					पुं० [कर्म० स०] १. चांद्र मास का शुक्ल पक्ष। उजला पाख। २. हंस।				 | 
			
			
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					धवल-मृत्तिका 					 :
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					स्त्री० [कर्म० स०] सफेद अर्थात खरिया मिट्टी। दुद्धी। 				 | 
			
			
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					धवल-श्री 					 :
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					स्त्री० [कर्म० स०] ओड़व जाति की एक रागिनी जो संध्या समय गायी जाती है।				 | 
			
			
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					धवलता 					 :
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					स्त्री० [सं० धवल+तल्+टाप्] धवल होने की अवस्था, गुण या भाव।				 | 
			
			
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					धवलति 					 :
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					भू० कृ० [सं० धवल+इतच्] १. जो धवल अर्थात सफेद किया गया हो। उज्ज्वल। जैसे—तुषार धवलित ‘पर्वत’। २. खूब साफ या स्वच्छ किया हुआ।				 | 
			
			
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					धवलत्व 					 :
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					पुं० [सं० धवल+त्व]=धवलता।				 | 
			
			
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					धवलना 					 :
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					स० [सं० धवल] उज्ज्वल करना। चमकाना। अ० उज्ज्वल होना।				 | 
			
			
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					धवलहर 					 :
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					पुं० [सं० धवल-ग्रह] १. प्रासाद। महल। उदा०— धवला गिरि कि ना धवलहर।—प्रिथीराज। २.दे० ‘धौरहर’।				 | 
			
			
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					धवला 					 :
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					स्त्री० [सं० धवल+टाप्] सफेद गाय। पुं० [सं० धवल] सफेद बैल। वि० सं० ‘धवल’ का स्त्री०।				 | 
			
			
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					धवलाई 					 :
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					स्त्री०=धवलता।b 				 | 
			
			
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					धवलांग 					 :
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					वि० [धवल-अंग, ब० स०] धवल अर्थात् सफेद अंगों वाला। पुं० हंस।				 | 
			
			
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					धवलागिरि 					 :
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					पुं० [सं० धवल+गिरि]=धवलगिरि।				 | 
			
			
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					धवलिमा (मन्) 					 :
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					स्त्री० [सं० धवल+इमनिच्] १. श्वेता। सफेदी। २. उज्जवलता।				 | 
			
			
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					धवली 					 :
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					स्त्री० [सं० धवय+ङीष्] १. सफेद गाय। २. सफेद गोल मिर्च। ३. समय से पहले बाल सफेद होने का रोग।				 | 
			
			
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					धवलीकृत 					 :
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					भू० कृ० [सं० धवल+च्वि√कृ (करना)+क्त] जो धवल अर्थात सफेद किया या बनाया गया हो। 				 | 
			
			
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					धवलीभूत 					 :
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					भू० कृ० [सं० धवल+च्वि√भू (होना)+क्त] जो सफेद हो गया हो।				 | 
			
			
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					धवलोत्पल 					 :
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					पुं० [सं० धवल+उत्पन्न, कर्मं० स०] सफेद कमल।				 | 
			
			
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					धवा 					 :
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					पुं०=धव (वृक्ष)।a				 | 
			
			
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					धवाना 					 :
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					स० [हिं० धाना का प्रे०] किसी को धाने या दौड़ने में प्रवृत्त करना। दौड़ाना।a अ० [सं० ध्वनि] १. ध्वनि या शब्द होना। २. ध्वनित होना। स० ध्वनि या शब्द उत्पन्न करना।b 				 | 
			
			
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					धवित्र 					 :
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					पुं० [सं०√धू (कंपन)+इत्र] हिरन की खाल का बना हुआ पंखा, जिससे यज्ञ की आग सुलगाई जाती थी।				 | 
			
			
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